Wednesday, May 29, 2019

अभी तक क्यूँ भरा नहीं, मेरे दिल का ज़ख़्म,
मैं ने तो सुना है कि, वक्त हर ज़ख़्म को भर देता है.....

भला क्यूँ टूट गया, मेरे सबृ का सितारा,
मैं ने तो सुना है कि, सबृ इन्सान को जीना सिखा देता है....

कैसे भूल गया, उसके होने का अहसास,
मैं ने तो सुना है कि, अहसास किसी की याद दिला देता है....

अभी तक क्यूँ रूठा है , मुझसे मेरा खुदा,
मैं ने तो सुना है कि, खुदा हर राही को राह दिखा देता है....

Tapan tanha.... 
तेरी तरह मैं माहिर नहीं था...
तूने डुबोया वहाँ, जहाँ साहिल नहीं था...
गर मैं भी वो करता, जो तूने किया था...
मगर तेरी तरह मैं ज़ाहिल नहीं था...
क्या सोचा था तूने, ये करने से पहले...
क्या मैं तेरे काबिल नहीं था...
🤔शायद मैं तेरे काबिल नहीं था...
🤔शायद मैं तेरे काबिल नहीं था...


Tapan Tanha
टूटे दिल को कहां लेके जाऊं...
अपनी ये हस्ती कहां मैं मिटाऊं...
बनाया था मैंने जो आशियाना...
क्या अपने हाथों से खुद ही जलाऊं...

ज़िंदगी में अगर हादशा ये न होता...
चैन और सुकूं मुहब्बत में न खोता...
अच्छा हुआ बच गया इस गुनाह से...
वरना पापों को कैसे अपने हाथों से धोता...

तपन तन्हा...