Saturday, June 8, 2019

सारे बन्धन, यूं तोड़ कर.....
मेरी वफा से,मुंह मोड़ कर....
कहां तुम चले गये,
अकेले मुझे, छोड़ कर.....

रोता हूं मैं, प्यार करके तुम्हें....
खोता हूं मैं, याद करके तुम्हें....
ढूँढ लिया मेंने, सारा जहां......
ढूंढा तुम्हें, न जाने कहाँ.......
सोता हूं अब, आंखें खोल कर......
शायद मिलो, तुम किसी मोड पर.......
कहां तुम चले गये,
अकेले मुझे छोड़ कर...........

भूख प्यास सब मिट गयी.....
जिन्दगी की यूं सिमट गयी.....
एेसे भला अब कब तक जलें.......
तन्हा अब हम कब तक चलें......
रखा था हमने, घर जोड़ कर.....
क्या सो गये, तुम ज़मी ओढ़ कर......
कहां तुम चले गये.......
अकेले मुझे छोड़ कर........

जीवन नीरस हो गया.....
मैं वीर रस हो गया........
अब न तुझ से, मिल पाऊगां.....
फूलों की तरह न, खिल पाऊगां.....
ले जायेगा कोई, अब मुझे तोड़ कर.....
शायद तुम सो गये हो, कफन ओढ़ कर...
कहां तुम चले गये.......
अकेले मुझे छोड़ कर.............

तपन तन्हा...


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