Saturday, June 8, 2019

खुशी जो मिली थी, वो वहीं बांट दी.......
 आईना बन के मैंने,  जिंदगी काट दी.....

टूट तो जाऊगां, मैं फर्श पर.......
मिलूगां तुम्हें, मगर अर्श पर......
घटायें जो छायीं थी, वो छांट दी.....
आईना बन के मैंने, जिंदगी की काट दी.....

नाम तेरा लिए ,जी रहा था मैं.......
जहर घूँट का, पी रहा था मैं..........
तुम जीवन में मेरे, बन के आंई दुल्हन......
जाने क्यूं हो रही थी, सब को जलन..........
किसी ने हमारे, बीच गाँठ दी..........
आईना बन के मैंने, जिंदगी की काट दी......

मिलोगे कभी तो, बतायेंगे हम.......
गांठों को अपनी, हटायेंगे हम.......
ख़ुशीयां भरेंगे, नये साल में............
जी लेंगे हम भी, किसी हाल में............
खाईयां फासलों की, मैंने पाट दी..............
आईना बन के मैंने, जिंदगी की काट दी............

तपन तन्हा........

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