Saturday, June 8, 2019

याद में उसकी मिट गये लेकिन,मन को मेरे आराम न आया..
जिसके लिए रब को भी छोड़ा ,उसका कोई पैगाम न आया..

इन जख्मों के दाग लगे क्यूं ,बस मेरे ही दामन पर,
जिसने किया है मुझको तन्हा ,उसपे कोई इल्जाम न आया..
जिसके लिए रब को भी छोड़ा,उसका कोई पैगाम न आया..
याद में उसकी मिट गये लेकिन,मन को मेरे आराम न आया..

जिसके लिए मैं हुआ शर्मिंदा,दुनियां की ही नज़रों में ,
उस के लबों पर अब तक मेरा,भूल के कोई नाम न आया..
जिसके लिए रब को भी छोड़ा,उसका कोई पैगाम न आया..
याद में उसकी मिट गये लेकिन,मन को मेरे आराम न आया ..

कितनी रातें तडपे हैं हम,कातिल तेरी उल्फत में,
हर एक शख्स से पूछा हमने,फिर भी कोई काम न आया..
जिसके लिए रब को भी छोड़ा,उसका कोई पैगाम न आया..
याद में उसकी मिट गये लेकिन,मन को मेरे आराम न आया..

Tapan Tanha

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