शायरी, कविता, गीत, ग़ज़ल
Sunday, June 2, 2019
मिटा वो दिये थे तुम्हारे निशान...
जहाँ से तू होकर निकला था कभी...
आयी है महक चन्दन की मुझे...
शायद नज़दीक होकर तू निकला है अभी...
तपन तन्हा...
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