Thursday, June 13, 2019

ये दिल के ज़ख़्म, किसी को दिखाये न गये....
दो आंसू मेरे हालात पर, तुम से बहाये न गये....
लड़ तो सकता था मैं दुनियां से तेरे लिए,
मगर दो कदम भी मुहब्बत में, तुम से बढ़ाये न गये....


Tapan Tanha.... 
भूलाना भी चाहूं तो तुझे भूला नहीं पाता....
तेरी यादों के साये को मिटा नहीं पाता....
ऐसा लगता है कि तू हर वक्त साथ रहता है मेरे,
तन्हा होकर भी खुद को तन्हा नहीं पाता....

Tapan Tanha.... 
तुम्हारे कदमों में लाकर हमने जन्नत से महल डाले....
पर तुम न बदले, तुम्हारे लिए अपने उसूल तक बदल डाले....

जो कहते थे कभी मेरी जान भी मांग लो,
कैसे कपड़ों की तरह उन्होंने अपने तेवर तक बदल डाले....

शिकायत उनसे नहीं अपने दिल से रही हमेशा,
न जाने क्यूँ अब उसने अपने शब्द तक बदल डाले....


वो दौलत पर मरते रहे और हम उन पर,
अचम्भित हूँ कैसे उन्होंने मुहब्बत के मायने तक बदल डाले....


तपन तन्हा....


अपनों से कोई खफा नहीं होता....
हर चाहत का नाम वफा नहीं होता....
वो तो इस ज़माने की मज़बूरीयां हैं वरना, 
मुहब्बत करने वाला, कभी बेवफा नहीं होता.... 



Tapan Tanha.... 

Monday, June 10, 2019

जिसने खोया है वही जानता है.... 
भला इस ईश्क के दर्द को, कौन पहचानता है....
तन्हाईयां गुज़ार दी हों, जिसने रातों की, 
ये ज़माना उसको पागल मानता है.... 


Tapan tanha.... 

Saturday, June 8, 2019

याद में उसकी मिट गये लेकिन,मन को मेरे आराम न आया..
जिसके लिए रब को भी छोड़ा ,उसका कोई पैगाम न आया..

इन जख्मों के दाग लगे क्यूं ,बस मेरे ही दामन पर,
जिसने किया है मुझको तन्हा ,उसपे कोई इल्जाम न आया..
जिसके लिए रब को भी छोड़ा,उसका कोई पैगाम न आया..
याद में उसकी मिट गये लेकिन,मन को मेरे आराम न आया..

जिसके लिए मैं हुआ शर्मिंदा,दुनियां की ही नज़रों में ,
उस के लबों पर अब तक मेरा,भूल के कोई नाम न आया..
जिसके लिए रब को भी छोड़ा,उसका कोई पैगाम न आया..
याद में उसकी मिट गये लेकिन,मन को मेरे आराम न आया ..

कितनी रातें तडपे हैं हम,कातिल तेरी उल्फत में,
हर एक शख्स से पूछा हमने,फिर भी कोई काम न आया..
जिसके लिए रब को भी छोड़ा,उसका कोई पैगाम न आया..
याद में उसकी मिट गये लेकिन,मन को मेरे आराम न आया..

Tapan Tanha
सारे बन्धन, यूं तोड़ कर.....
मेरी वफा से,मुंह मोड़ कर....
कहां तुम चले गये,
अकेले मुझे, छोड़ कर.....

रोता हूं मैं, प्यार करके तुम्हें....
खोता हूं मैं, याद करके तुम्हें....
ढूँढ लिया मेंने, सारा जहां......
ढूंढा तुम्हें, न जाने कहाँ.......
सोता हूं अब, आंखें खोल कर......
शायद मिलो, तुम किसी मोड पर.......
कहां तुम चले गये,
अकेले मुझे छोड़ कर...........

भूख प्यास सब मिट गयी.....
जिन्दगी की यूं सिमट गयी.....
एेसे भला अब कब तक जलें.......
तन्हा अब हम कब तक चलें......
रखा था हमने, घर जोड़ कर.....
क्या सो गये, तुम ज़मी ओढ़ कर......
कहां तुम चले गये.......
अकेले मुझे छोड़ कर........

जीवन नीरस हो गया.....
मैं वीर रस हो गया........
अब न तुझ से, मिल पाऊगां.....
फूलों की तरह न, खिल पाऊगां.....
ले जायेगा कोई, अब मुझे तोड़ कर.....
शायद तुम सो गये हो, कफन ओढ़ कर...
कहां तुम चले गये.......
अकेले मुझे छोड़ कर.............

तपन तन्हा...


खुशी जो मिली थी, वो वहीं बांट दी.......
 आईना बन के मैंने,  जिंदगी काट दी.....

टूट तो जाऊगां, मैं फर्श पर.......
मिलूगां तुम्हें, मगर अर्श पर......
घटायें जो छायीं थी, वो छांट दी.....
आईना बन के मैंने, जिंदगी की काट दी.....

नाम तेरा लिए ,जी रहा था मैं.......
जहर घूँट का, पी रहा था मैं..........
तुम जीवन में मेरे, बन के आंई दुल्हन......
जाने क्यूं हो रही थी, सब को जलन..........
किसी ने हमारे, बीच गाँठ दी..........
आईना बन के मैंने, जिंदगी की काट दी......

मिलोगे कभी तो, बतायेंगे हम.......
गांठों को अपनी, हटायेंगे हम.......
ख़ुशीयां भरेंगे, नये साल में............
जी लेंगे हम भी, किसी हाल में............
खाईयां फासलों की, मैंने पाट दी..............
आईना बन के मैंने, जिंदगी की काट दी............

तपन तन्हा........

फ़साने में मेरे दिलवर, तेरा ही नाम आयेगा...........
रूठोगे तो हाथों में, छलकता जाम आयेगा...........
मैं बोतल हूं शराबों की, नहीं तुम भूल पाओगे,
इसे तोडोगे हाथों में, तो टूटा जाम आयेगा................

मैं आइना तुम्हारा हूँ ,मुझे तुम गौर से देखो.............
 इश्क कोई कैसे करता है, करके तुम और से देखो.........
जलूगां मैं भी ही लेकिन,  तुम्हारे काम आयेगा,
इसे तोडोगे हाथों में , तो टूटा जाम आयेगा.............

पता मुझको नहीं संगदिल, कि कैसे तुम को पाया हूँ ..........
तुमको  प्यार करने की, रज़ा में रब से लाया हूँ ...............
मेरे होठों पे तेरा नाम, सुबह से शाम आयेगा,
इसे तोडोगे हाथों में, तो टूटा जाम आयेगा................

Tapan Tanha.........


न जाने ज़िंदगी की में, कौन से वो  रंग हैं अपने..............
मुश्किलों में न काम आये,  कौन से संग हैं अपने............
पडेगा फर्क  क्या मुझको, भला इनको बचाने मैं,
छोड़ दो इनको हालों पर, कौन से अंग हैं अपने..............

तपन Tanha 

देखो तो, ख्वाब हो जाऊं........
पढो, किताब हो जाऊं..........
ओढ लो जो मुझे जानम,
तो मैं, हिज़ाब हो जाऊं..........

 मन्नतें करके, मैंने यूं...............
रब से ही, तुमको है  पाया.........
ऐसा लगता है जैसे तू ,
 बन के आई, मेरा साया...........
मुझे तनहाई,में सोचो................
तो मैं हिसाब, हो जाऊं...............
ओढ लो, जो मुझे जानम............
तो मैं, हिज़ाब हो जाऊं.............

 दुश्मनी कोई नहीं है.............
मेरी इस ज़माने से..............
तेरे -मेरे बीच मैं आया,
ज़माना उस ज़माने से.............
ज़माना कुछ भी अब कर ले.........
तो मैं,शैंलाब हो जाऊं,
ओढ लो, जो मुझे जानम............
तो मैं, हिज़ाब हो जाऊं...............

तपन तन्हा.......
 तुम न आते तो मुहब्बत, ज़फाओं में जकड़ गयी होती....
और मेरे दिल की हालत, अब तलक बिगड़ गयी होती....
अहसान है तुम्हारा मुझ पर, ऐ मेरे हमसफ़र,
वरना कब की मेरी दुनिया, उजड़ गयी होती....

Tapan Tanha... 
मानता हूं कि मैं एक गुनाहगार हूं...
ये भी सच है तेरा मैं तलबगार हूं...

दिल दुखाया तेरा जाने अन्जाने में...
दिल का हाथ था मुझको बहकाने में...

माफ कर देना सब बचपना जान कर...
जीऊगां तुम्हें ज़िन्दगी मानकर...

ये आखरी शब्द हैं ज़िन्दगी के मेरी...
तेरी खामोशीयां अब सज़ा है मेरी...

Tapan Tanha...



Friday, June 7, 2019

मैं भी भूला हूं तुझको, तू भी भूलजा मुझको...
यूं जख्मों को कुरेदो न, दर्द इसमें होगा तुझको...

दिलों को बोझ लगते हैं, वो किस्से अब मुहब्बत के...
चलो अब कर ही देते हैं, कुछ हिस्से मुहब्बत के...

चलो अब काट देते हैं, बची अब इस जवानी को...
बस यहीं खत्म करते हैं, अपनी इस कहानी को...

तपन तन्हा...

Sunday, June 2, 2019

नयी बोतल में, पुरानी शराब दूगां ....
तेरे हुस्न को, एक नया शबाब दूगां....
मत पूछ तू किसी से मेरे बारे में,
मैं खुद तेरे हर एक, सवाल का जबाब दूगां....

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Tapan Tanha....
मिटा वो दिये थे तुम्हारे निशान... 
जहाँ से तू होकर निकला था कभी...
आयी है महक चन्दन की मुझे...
शायद नज़दीक होकर तू निकला है अभी... 


तपन तन्हा... 







Wednesday, May 29, 2019

अभी तक क्यूँ भरा नहीं, मेरे दिल का ज़ख़्म,
मैं ने तो सुना है कि, वक्त हर ज़ख़्म को भर देता है.....

भला क्यूँ टूट गया, मेरे सबृ का सितारा,
मैं ने तो सुना है कि, सबृ इन्सान को जीना सिखा देता है....

कैसे भूल गया, उसके होने का अहसास,
मैं ने तो सुना है कि, अहसास किसी की याद दिला देता है....

अभी तक क्यूँ रूठा है , मुझसे मेरा खुदा,
मैं ने तो सुना है कि, खुदा हर राही को राह दिखा देता है....

Tapan tanha.... 
तेरी तरह मैं माहिर नहीं था...
तूने डुबोया वहाँ, जहाँ साहिल नहीं था...
गर मैं भी वो करता, जो तूने किया था...
मगर तेरी तरह मैं ज़ाहिल नहीं था...
क्या सोचा था तूने, ये करने से पहले...
क्या मैं तेरे काबिल नहीं था...
🤔शायद मैं तेरे काबिल नहीं था...
🤔शायद मैं तेरे काबिल नहीं था...


Tapan Tanha
टूटे दिल को कहां लेके जाऊं...
अपनी ये हस्ती कहां मैं मिटाऊं...
बनाया था मैंने जो आशियाना...
क्या अपने हाथों से खुद ही जलाऊं...

ज़िंदगी में अगर हादशा ये न होता...
चैन और सुकूं मुहब्बत में न खोता...
अच्छा हुआ बच गया इस गुनाह से...
वरना पापों को कैसे अपने हाथों से धोता...

तपन तन्हा...